वसुधा कल्याण आश्रम
‘वसुधा कल्याण आश्रम’ अपने सभी न्यासी, जीवनदानी, त्यागी युवाओं, स्वयंसेवकों एवं समाज के प्रत्येक वर्ग के बुद्धिजीवियों के सहयोग से ‘सनातन धर्म’ के आश्रय में ‘सनातन युग’ की अवधारणा से कृतसंकल्पित होकर कार्य करता आ रहा है।
‘वसुधा कल्याण आश्रम’ का स्वाभाविक उद्देश्य मानव जीवन की गरिमा, उसकी विशेष क्षमता, उसके स्वभाव और उसमें निहित परम् आनन्द का विस्तार एवं अनुभव करना है। इसके साथ ही मनुष्य को सत्य के स्वाभाविक खोज के प्रति प्रेरित और प्रोत्साहित करना है ताकि प्रत्येक मनुष्य स्वयं की परम क्षमता का विस्तार और अनुभव प्राप्त कर सके। ‘वसुधा कल्याण आश्रम’ का समग्र चिंतन इस दिशा में क्रियाशील है कि इस सृष्टि में उत्पन्न समस्त जीवों का कर्म शुद्ध ‘सनातन धर्म’ एवं ‘प्रकृति’ की सेवा मात्र ही है। धर्म के विपरीत किये गये कर्म सम्पूर्ण सृष्टि के लिये विध्वंसकारी हैं। परिष्कृत जीवन की उपलब्धि के लिये तथा सूक्ष्म जगत के क्रियाकलापों को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिये मानवजाति को स्वकर्मों पर विचार करके जीवन बाधाओं को दूर करना होगा । हमें धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष रूपी आदर्शों एवं प्रकृति के अनुकूल मानव जीवन के मौलिक प्रबंधन प्रयत्नों को आत्मविश्वास और उत्साह के साथ अपने संव्यवहार में निहित करना होगा।
‘वसुधा कल्याण आश्रम’ अपने लोक.कल्याणकारी उद्देश्यों के साथ संघ शक्ति से युक्त होकर सम्पूर्ण विश्व में ‘कल्याण संघ’ और ‘कल्याण परिवार’ के नाम से भी जाना जाता है एवं परम श्रद्धेय आचार्य श्री पावन महाराज जी के निर्देशन एवं संरक्षण में ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ एंव ‘विमुक्तश्च विमुच्यते’ जैसे दिव्यतम् भावों का आश्रय लेकर अपने पारमार्थिक उद्देश्यों को पूर्ण कर रहा है। ‘वसुधा कल्याण आश्रम, परम श्रद्धेय आचार्य श्री पावन महाराज जी की विचारणा शक्ति की आधारशिला पर शुद्ध रूप से सनातन जीवनशैली पर आधारित ‘कल्याण मित्र भाव दीक्षा’ के माध्यम से जनमानस को निरंतर एवं गुणवत्तापूर्ण तरिके से सनातन धर्म, सनातन संस्कृति एवं सनातन जीवनशैली के प्रति जाग्रत करने का प्रयास कर रहा है।
केन्द्रीय उद्देश्य
परम श्रद्धेय आचार्य श्री पावन महाराज जी
वसुधा कल्याण आश्रम
परम श्रद्धेय आचार्य श्री पावन महाराज जी परिष्कृत एवं दिव्य आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि से सम्पन्न एक महान साधक एवं आध्यात्मिक गुरु हैं, जिन्होंने जन्मजन्मांतर की गहन एवं कठोर साधनाओं के द्वारा ब्रह्मांडीय चेतना से संबद्ध अपने आत्मिक अनुभवों को पुष्ट किया है।
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विश्व की प्राचीनतम् संस्कृति भारतीय सनातन हिन्दू संस्कृति में पर्यावरण का देवतुल्य स्थान है तथा भारतीय संस्कृति में पर्यावरण संरक्षण का संदेश निहित है। अतः मुख्य रूप से वृहद् स्तर पर वृक्षारोपण के माध्यम से पर्यावरण (पंचभूत पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि, आकाश) के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु समर्पित समूहों, समितियों के माध्यम से प्रयास करना। पर्यावरणक्षरण को रोकने तथा पर्यावरण को स्वच्छ बनाने की दिशा में कार्य करना है।
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‘वसुधा कल्याण आश्रम’ के अंतर्गत कल्याण कार्यों का संचालन, जनमानस के वैचारिक उत्कर्ष का समग्र प्रयास, सनातन वैदिक संस्कृति प्रसार, देवालय, सन्यास आश्रम, ध्यान केन्द्र, शिक्षण केन्द्र, चिकित्सा केन्द्र, तकनीकी प्रशिक्षण केंद्र, कृषि अनुसंधान केंद्र, श्रद्धालय(वृद्धाश्रम, अनाथालय) तथा गौशाला आदि की स्थापना।
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राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सनातन संस्कृति के प्रसार एवं पुनर्जागरण हेतु संगठित संघशक्ति को आधार बनाकर प्रयास करना।
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समस्त जीवों के प्रति दया के साथ शाकाहार को बढ़ावा देना, साथ ही शुद्ध आहार ग्रहण करने, अस्वादिक खाद्य पदार्थ एवं उत्तेजक भोजन का परित्याग करने का आग्रह करना।
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्राकृतिक आपदाओं जैसे अकाल, तूफान, भूकंप, बाढ़, आग, महामारी आदि के दौरान जरूरतमंद पीड़ितों को राहत और सहायता प्रदान करना और ऐसे राहत कार्य में लगे संस्थानों या व्यक्तियों को दान और अन्य सहायता प्रदान करना।
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उद्यानों, व्यायामशालाओं, स्पोर्ट्स क्लबों, तीर्थ स्थलों पर धर्मशालाओं और विश्राम गृहों की स्थापना करना।
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किसी भी राष्ट्र, संस्कृति, धर्म, संप्रदाय, आदि के राष्ट्रीय, सांस्कृतिक, धार्मिक, आध्यात्मिक महत्व के स्मारकों का पुनरुत्थान, देखभाल, रखरखाव हेतु अनुदान सहायता प्रदान करना।
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सामाजिक दायित्वों की पूर्ति हेतु गोष्ठियों, सेमिनारों, सार्वजनिक रैलियों, सार्वजनिक बैठकों, जागरूकता कार्यक्रमों, प्रतियोगिताओं आदि का आयोजन करना है।
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शिक्षा एवं साहित्य के प्रसार और उन्नति के लिए स्कूलों, कॉलेजों, पुस्तकालयों, वाचनालयों, विश्वविद्यालयों, प्रयोगशालाओं, अनुसंधान केन्द्रों एवं अन्य संस्थानों की स्थापना करना।
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कौशल उन्नयन की गतिविधियों को बढ़ावा देना। पंचायती राज अधिनियम 1993, माइक्रो प्लानिंग, उद्यमिता, नौकरी उन्मुख कौशल हेतु निःशुल्क प्रशिक्षण का आयोजन करना।
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सहायता समूहों (एस१ एच० जी१) का गठन और प्रशिक्षण, ग्रामीण पुनरुत्थान कार्यक्रमों का संचालन, ग्राम्य क्षेत्र में निःशुल्क चिकित्सा सेवा प्रदान करना।
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डिजिटल आधारित शिक्षा के क्षेत्र में विशेष प्रयास करना।
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राष्ट्र, संस्कृति, पर्यावरण की सेवा एवं संरक्षण हेतु सक्रिय एवं समर्पित स्वयंसेवकों को संघशक्ति से जोड़ना।
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संवेदना (रक्त दानवीरों का समूह नाम) समूहों का गठन करना एवं उन्हें रक्तदान के लिए प्रेरित करना।
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मनुष्यों में अहंकारहीन ज्ञान, भक्ति एवं प्रज्ञा का उन्मेष करना।