‘वसुधा कल्याण आश्रम’ का उद्देश्य मानवीय कल्याण भावों के अनुकूल होकर प्रकृति के साथ अपनी समग्रता का विस्तार करते हुए धर्मजीवन का निर्वहन करना है। ‘वसुधा कल्याण आश्रम’ वैचारिक धरातल पर मनुष्य अपने जीवन में कुशलता, कौशल, कर्मण्यता और कीर्ति के संयोजन (समायोजन) द्वारा अपने जीवन की उच्चतम संभावनाओं को परिणाम में परिवर्तित कर मानव सभ्यता एवं संस्कृति के विकास को उसके चरम बिन्दु पर स्थापित कर सकेगा। प्रकृति ईश्वर द्वारा प्रदत्त अमूल्य उपहार है। यह लोककल्याण हेतु धरोहर है एवं इसकी सेवा और रक्षा करना इस धरा के प्रत्येक मनुष्य का परम कर्तव्य है। मनुष्य जाति पर ही इसके संरक्षण एवं संवर्धन की पूर्ण जिम्मेवारी है क्योंकि ‘प्रकृति’ तथा बोध और भावना से युक्त ‘मनुष्य’ दोनों ही ईश्वर की अप्रतिम रचनाएँ हैं। ‘वसुधा कल्याण आश्रम’ अपने सभी न्यासी, जीवनदानी, त्यागी युवाओं, स्वयंसेवकों एवं समाज के प्रत्येक वर्ग के बुद्धिजीवियों के सहयोग से ‘सनातन धर्म’ के आश्रय में ‘सनातन युग’ की अवधारणा से कृतसंकल्पित होकर कार्य करता आ रहा है।